काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड,
और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह..
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ख़ाकसार शायरी – जूनून-ए-तूफाँ जो आते हैं तो
जूनून-ए-तूफाँ जो आते हैं तो ऐसे ही नहीं
कोई दीवाना ‘जाँ-गुलिस’ से ख़ाकसार होगा
जुदाई शायरी – बेवफ़ा मैं था वक़्त था
बेवफ़ा मैं था वक़्त था या मुक़द्दर था,
बात जो भी थी अंजाम जुदाई निकला
राहगुज़र शायरी – सोचा था तुझसे दुर निकल
सोचा था तुझसे दुर निकल जाएंगे कही…
देखा तो हर मुकाम तेरी राहगुज़र मे है…
बेदर्द शायरी – दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने
दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में…
माशूक़ शायरी – माशूक़ और भी
माशूक़ और भी हैं बता दे जहान में
करता है कौन ज़ुल्म किसी पर तिरी तरह
मंजर शायरी – बहुत खुश हुए की अकेले
बहुत खुश हुए की अकेले है हम,
आज जब मोहब्बत करने वालों के मंजर देखे
हिना शायरी – मैं भी पलकों पे सजा
मैं भी पलकों पे सजा लूँगा लहू की बूँदें
तुम भी पा-बस्ता-ए-ज़ंजीर-ए-हिना हो जाना
शोखी शायरी – ना देखो चलते-चलते यूँ कदम-कदम
ना देखो चलते-चलते यूँ कदम-कदम शोखी…
कोई कत्ल हो रहा है सरे आम चुपके-चपके…
तूफां शायरी – साहिल के सुकूँ से किसे
साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है
लेकिन तूफां से लड़ने का मजा और ही कुछ है