काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड,
और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह..
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जुदाई शायरी – बेवफ़ा मैं था वक़्त था
बेवफ़ा मैं था वक़्त था या मुक़द्दर था,
बात जो भी थी अंजाम जुदाई निकला
बेदर्द शायरी – दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने
दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में…
तूफां शायरी – साहिल के सुकूँ से किसे
साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है
लेकिन तूफां से लड़ने का मजा और ही कुछ है
मुफ़्लिस शायरी – सब खामोश हैं यहाँ कोई
सब खामोश हैं यहाँ कोई आवाज नहीं करता
सच कहकर किसीको कोई नाराज नहीं करता
इस कदर बिका है इंसान दौलत के हाथों कि
किसी मुफ़्लिस का चारागर इलाज नहीं करता
मुहब्बत शायरी – फिर कभी नहीं हो सकती
फिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत …
वो शक्स भी एक था और मेरा दिल भी एक…
दरमियाँ शायरी – दरमियाँ फासलों की उठती दीवार
दरमियाँ फासलों की उठती दीवार थी
और मेरे दिल की बनती मज़ार थी
फ़क्त मैं ही नहीं था कल बेचैन बहुत
कल तो शब भी बहुत बेक़रार थी
ख़्वाब शायरी – ख्वाबों में बना ली, आँखो
ख्वाबों में बना ली, आँखो में सज़ा ली,
तस्वीर तेरी हमने, इस दिल में बसा ली
दास्ताँ शायरी – थे वो भी दिन कि
थे वो भी दिन कि मुझे चाहता था दिल से वह
मगर यह बात हुई अब दास्ताँ की तरह
बेदर्द शायरी – इतना दर्द न दे मुझे,
इतना दर्द न दे मुझे, बेदर्द न हो जाऊ
तेरी हर खबर,फिर बेखबर न हो जाऊ
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने मे
फिर कैसे टूट के अब मै बेफिक्र हो जाऊ