रवादारी निगाहों की बहुत होती है गर कुछ हो,
वरना, इशारे तो बुर्के के अंदर से भी बेबाक होते हैं
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आँगन शायरी – साँसें में बस जाती है
साँसें में बस जाती है यूँ मीठी-मीठी ख़ुशबू सी
जैसे कोई रात की रानी मेरे आँगन रहती है
ताबीर शायरी – वो एक शख़्स हसीं ख़्वाब
वो एक शख़्स हसीं ख़्वाब जैसा,
जिसकी ताबीर है ना’मुमकिन,
ख़ाकसार शायरी – ख़ाकसारों को ख़ाक ही क़ाफी.. रास
ख़ाकसारों को ख़ाक ही क़ाफी..
रास मुझको है ख़ामोशी मेरी.
शरारत शायरी – जिस दिन बंद कर ली
जिस दिन बंद कर ली हमने आंखें.
कई आँखों से उस दिन आंसु बरसेंगे.
जो कहते हैं के बहुत तंग करते है हम..
वही हमारी एक शरारत को तरसेंगे