मुफ़्लिस शायरी – सब खामोश हैं यहाँ कोई

सब खामोश हैं यहाँ कोई आवाज नहीं करता
सच कहकर किसीको कोई नाराज नहीं करता

इस कदर बिका है इंसान दौलत के हाथों कि
किसी मुफ़्लिस का चारागर इलाज नहीं करता

जुदाई शायरी – ना शौक दीदार का, ना

ना शौक दीदार का,
ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैं वो लोग …
जो मोहब्बत नहीँ करते…

दरमियाँ शायरी – दरमियाँ फासलों की उठती दीवार

दरमियाँ फासलों की उठती दीवार थी
और मेरे दिल की बनती मज़ार थी

फ़क्त मैं ही नहीं था कल बेचैन बहुत
कल तो शब भी बहुत बेक़रार थी

बेदर्द शायरी – इतना दर्द न दे मुझे,

इतना दर्द न दे मुझे, बेदर्द न हो जाऊ
तेरी हर खबर,फिर बेखबर न हो जाऊ
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने मे
फिर कैसे टूट के अब मै बेफिक्र हो जाऊ

गुलशन शायरी – सफर वहीं तक है जहाँ

सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,

हजारो फूल है गुलशन मे मगर,
खूशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो..

जुर्म शायरी – जहाँ खामोश फिजा थी, साया

जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था
हमसा कोई किस जुर्म में आया भी न था
न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी
हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था