रिफ़ाक़त शायरी – सुरूर तेरी रिफ़ाक़त का कम

सुरूर तेरी रिफ़ाक़त का कम नहीं होता,
तसव्वुरात में रंग-ए-विसाल रौशन है

रिफ़ाक़त शायरी – चार दिन की ये रिफ़ाक़त

चार दिन की ये रिफ़ाक़त जो रिफ़ाक़त भी नहीं
उम्र भर के लिए आज़ार हुई जाती है

रिफ़ाक़त शायरी – किसी को छोड़ कर जाना

किसी को छोड़ कर जाना हो,तो फिर छोड़ जाता है
बिछड़ना हो तो सदियों की रिफ़ाक़त कुछ नहीं होती