रवादारी निगाहों की बहुत होती है गर कुछ हो,
वरना, इशारे तो बुर्के के अंदर से भी बेबाक होते हैं
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रवादारी शायरी – खुदगर्ज़ी औ अमरत परसती थी
खुदगर्ज़ी औ अमरत परसती थी बीमारी
नस्ल में तुम्हारी ना होती ग़ैर रवादारी
रवादारी शायरी – मसीहा दर्द के हमदर्द हो
मसीहा दर्द के हमदर्द हो जायें तो क्या होगा ?
रवादारी के ज़ज्बे सर्द हो जायें तो क्या होगा ?
रवादारी शायरी – अभी तक यह इलाक़ा है
अभी तक यह इलाक़ा है रवादारी के क़ब्ज़े में
अभी फ़िरक़ापरस्ती कम है आबादी बताती है
रवादारी शायरी – ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल
ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना
तक़ल्लुफ़ की रवादारी से बचिये
रवादारी शायरी – सबक़ सीखा है ये बर्बाद
सबक़ सीखा है ये बर्बाद हो कर
रवादारी वफादारी नहीं है
कई परहेज़ होते है वफ़ा में
ये कोई आम बीमारी नहीं है
रवादारी शायरी – सियासत में जरूरी है रवादारी
सियासत में जरूरी है रवादारी समझता है
वो रोजा तो नहीं रखता पर इफतारी समझता है