कुछ चेहरे कभी भुलाये नहीं जाते,
कुछ नाम दिल से मिटाए नहीं जाते.
अब बात या मुलाक़ात हो या न हो…,
प्यार के चिराग कभी बुझाये नहीं जाते.
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मुलाक़ात शायरी – हर मुलाक़ात में महसूस यही
हर मुलाक़ात में महसूस यही होता हैं,
मुझ से कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे.
मुलाक़ात शायरी – तरसेगा जब दिल तुम्हारा मेरी
तरसेगा जब दिल तुम्हारा मेरी मुलाक़ात को…
ख्वाबो में होंगे तुम्हारे हम उसी रात को…
मुलाक़ात शायरी – कुदरत के करिश्मों में अगर
कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती
ख्वाबों में भी फिर उनसे मुलाक़ात न होती
मुलाक़ात शायरी – मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी…
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी.
मुलाक़ात शायरी – दोस्तों से मुलाक़ात की शाम
दोस्तों से मुलाक़ात की शाम है
ये सज़ा काट कर अपने घर जाऊँगा