सब खामोश हैं यहाँ कोई आवाज नहीं करता
सच कहकर किसीको कोई नाराज नहीं करता
इस कदर बिका है इंसान दौलत के हाथों कि
किसी मुफ़्लिस का चारागर इलाज नहीं करता
Shayari Collection In Hindi
सब खामोश हैं यहाँ कोई आवाज नहीं करता
सच कहकर किसीको कोई नाराज नहीं करता
इस कदर बिका है इंसान दौलत के हाथों कि
किसी मुफ़्लिस का चारागर इलाज नहीं करता
तेरे फ़िराक़ में जैसे ख़याल मुफ़्लिस का
गई है फ़िक्र-ए-परेशाँ कहाँ कहाँ मेरी
अहल-ए-दवल में धूम थी रोज़-ए-सईद की
मुफ़्लिस के दिल में थी न किरन भी उम्मीद की
हम ने सब को मुफ़्लिस पा के तोड़ दिया दिल का कश्कोल
हम को कोई क्या दे देगा क्यूँ मुँह-देखी बात करें
ख़्वाबों की बात हो न ख़यालों की बात हो…
मुफ़्लिस की भूख, उसके निवालों की बात हो…
यूँ तो बनते भी है कानून यहाँ रोज़ नए
न्याय मुफ़्लिस को मिले ऎसी हुकूमत ही नहीं
जैसे मुफ़्लिस की जवानी जैसे बेवा का शबाब
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल..
इस क़दर मुफ़्लिस हूँ मैं जाँ को बचाने,
भूख में ख़ुद को चबाकर रह गया हूँ
कसते नहीं गरदन पे अमीरों की शिकंजा
मुफ़्लिस का गला काट रहे मुल्क के हुक्काम
पेट भरने की ख़ातिर वो मुफ़्लिस चने,
रोज़ लोहे के चुन – चुन चबाता गया