मुंतज़िर जिनके हम रहे उनको,
मिल गए और हमसफ़र शायद
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मुंतज़िर शायरी – मोहब्बत, देर हो गयी तुझ
मोहब्बत, देर हो गयी तुझ को..
अब कोई मुंतज़िर नहीं है यहाँ
मुंतज़िर शायरी – प्यार के बोलों पर बिकने
प्यार के बोलों पर बिकने का मुंतज़िर हूँ मैं
सौदा सस्ता हूँ इसका दाम बन चले आओ
मुंतज़िर शायरी – तमाम उम्र रहे मेरा मुंतज़िर
तमाम उम्र रहे मेरा मुंतज़िर तू भी
तमाम उम्र मिरे इंतिज़ार को तरसे
मुंतज़िर शायरी – हवस नसीब नज़र को कहीं
हवस नसीब नज़र को कहीं क़रार नहीं
मैं मुंतज़िर हूँ मगर तेरा इंतज़ार नहीं
मुंतज़िर शायरी – बिन कहे आऊँगा जब भी
बिन कहे आऊँगा जब भी आऊँगा
मुंतज़िर आँखों से घबराता हूँ मैं
मुंतज़िर शायरी – जो मुंतज़िर न मिला वो
जो मुंतज़िर न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा
कि हम ने देर लगा दी पलट के आने में..
मुंतज़िर शायरी – सब अपने अपने क़रीने से
सब अपने अपने क़रीने से मुंतज़िर उस के
किसी को शुक्र किसी को शिकायतें करनी
मुंतज़िर शायरी – हर सीना आह है तिरे
हर सीना आह है तिरे पैकाँ का मुंतज़िर
हो इंतिख़ाब ऐ निगह-ए-यार देख कर
मुंतज़िर शायरी – मेरी हर नज़र, तेरी मुंतज़िर तेरी
मेरी हर नज़र, तेरी मुंतज़िर
तेरी हर नज़र, मेरा इम्तिहान