माशूक़ और भी हैं बता दे जहान में
करता है कौन ज़ुल्म किसी पर तिरी तरह
Tag: best माशूक़ शायरी
माशूक़ शायरी – शर्म समझे तेरे तग़ाफ़ुल को वाह
शर्म समझे तेरे तग़ाफ़ुल को
वाह क्या होशियार हम भी हैं
तुम अगर अपनी ख़ू के हो माशूक़
अपने मतलब के यार हम भी हैं
इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़
माशूक़ शायरी – फितूर होता है, हर उम्र
फितूर होता है, हर उम्र में जुदा जुदा
खिलौना, इश्क़, पैसा फिर खुदा खुदा
माशूक़ शायरी – हर नए तौर के नहीं
हर नए तौर के नहीं होंगे, इस नए दौर के नहीं होंगे,
आप बेख़ौफ़ बदलिये माशूक़, हम किसी और के नहीं होंगे..
माशूक़ शायरी – बेवफ़ाई पे मरते हैं माशूक़ दिलरुबाई
बेवफ़ाई पे मरते हैं माशूक़
दिलरुबाई की शान है गोया
माशूक़ शायरी – छेड़ माशूक़ से कीजे तो
छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़रा थम थम कर,
रोज़ के नामा ओ पैग़ाम बुरे होते हैं
माशूक़ शायरी – इस तरह भेस में आशिक़
इस तरह भेस में आशिक़ के छुपा है माशूक़
जिस तरह आँख के पर्दे में नज़र होती है