हमारी निसबत ऐसी थी की हम मनाने में लगे थे
उन्हें फुर्सत न थी किसी दूसरे से, की हमे आजमा सके
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निसबत शायरी – मुझे अच्छे बुरे से कोई
मुझे अच्छे बुरे से कोई निसबत है तो इतनी है
के हर ना-मेहर-बाँ की मेहर-बानी याद रखता हूँ
निसबत शायरी – जो आज साहिबे निसबत है,,कल
जो आज साहिबे निसबत है,,कल नहीं होंगे…
किरायेदार हैं ज़ाति मकान थोड़े है…
निसबत शायरी – बख़्त से कोई शिकायत ना
बख़्त से कोई शिकायत ना अफ़्लाक से है
यही क्या कम है कि निसबत मुझे इस ख़ाक से है
निसबत शायरी – तौहीन-ए-मोहब्बत भी न रही वो
तौहीन-ए-मोहब्बत भी न रही वो जौर-ओ-सितम भी छूट गए
पहले की ब-निसबत हुस्न की अब हर बात बदलती जाती है
निसबत शायरी – पहले की ब-निसबत है मुझे
पहले की ब-निसबत है मुझे काम ज़ियादा
दिल को है मगर ख़्वाहिश-ए-आराम ज़ियादा
निसबत शायरी – उश्शाक केदिल नाजुक उस शेख
उश्शाक केदिल नाजुक उस शेख की खू नाज़ुक
नाजुक उसी निसबत से है कारे मुहब्बत भी
निसबत शायरी – जब से निसबत हो गई
जब से निसबत हो गई है जाम से,
दिन गुज़रते है बड़े आराम से..
निसबत शायरी – इशारे रोज़ करती है मग़र
इशारे रोज़ करती है मग़र निसबत नहीं रखती
मटकती है बहुत ये ज़िन्दगी, बदमाश लड़की-सी
निसबत शायरी – जब तुम को मेरे नाम
जब तुम को मेरे नाम से निसबत नहीं कोई,
क्यों जा के बज़्म-ए-गैर में रुस्वा किया मुझे?