निसबत शायरी – हमारी निसबत ऐसी थी की

हमारी निसबत ऐसी थी की हम मनाने में लगे थे
उन्हें फुर्सत न थी किसी दूसरे से, की हमे आजमा सके

निसबत शायरी – बख़्त से कोई शिकायत ना

बख़्त से कोई शिकायत ना अफ़्लाक से है
यही क्या कम है कि निसबत मुझे इस ख़ाक से है

निसबत शायरी – जब से निसबत हो गई

जब से निसबत हो गई है जाम से,
दिन गुज़रते है बड़े आराम से..