तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए
मुद्दतों के बा’द देखा था तो आँसू आ गए
– फ़िराक़ गोरखपुरी
Shayari Collection In Hindi
तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए
मुद्दतों के बा’द देखा था तो आँसू आ गए
– फ़िराक़ गोरखपुरी
फिर वही दिल की गुज़ारिश, फिर वही उनका ग़ुरूर,
फिर वही उनकी शरारत, फिर वही मेरा कुसूर..
ये दिल बुरा सही सर-ए-बाज़ार तो न कह
आख़िर तु इस मक़ान में कुछ दिन रहा तो है