
Parizaad Drama Shayari In Hindi – Parizad Shayari – Parizaad Poetry Quotes In Hindi
मोहब्बत अब नहीं होगी
यह कुछ दिन बाद में होगी
गुज़र जाएंगे जव यह दिन
यह उन की याद में होगी।।
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जब बारिश की पहली बूंद गिरे तो चले आना
मेरा संदेशा मिले या न मिले तुम चले आना।।
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Parizaad Shayari In Urdu
सितारे जो दमकते हैं
किसी की चश्म-ए-हैराँ में
मुलाक़ातें जो होती हैं
जमाल-ए-अब्र-ओ-बाराँ में
ये ना-आबाद वक़्तों में
दिल-ए-नाशाद में होगी
मोहब्बत अब नहीं होगी
ये कुछ दिन बा’द में होगी
गुज़र जाएँगे जब ये दिन
ये उन की याद में होगी
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रात हो, चाँद हो, शहनासा हो
क्यों ना रग रग में फिर नशा सा हो
मैंने इक उम्र खर्च की है तुम पर
तुम मेरा कीमती एहसासा हो
एक तो खौफ भी हो दुनियां का
और मोहब्बत भी बे-तहाशा हो।।
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कि मेरे क़त्ल के बाद उसने जफ़ा से तौबा
हाय उस ज़ूद-ए-पशेमां का पशेमां होना।।
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Parizaad Shayari In Hindi
किस्से मेरी उल्फ़त के जो मरक़ूम हैं सारे
आ देख तेरे नाम से मासूम हैं सारे
शायद यह ज़र्फ़ है जो खामोश हूँ अब तक
वरना तो तेरे ऐब भी मालूम हैं सारे
सब जुर्म मेरी जात से मंसूब हुए “मोहसिन”
क्या मेरे सिवा शहर में मासूम हैं सारे।।
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यहाँ गरीब की तो शायरी भी फैज़ुल लगती है
और गर मर्द अमीर हो तो उसके मुंह से
निकली हुई गाली भी शायरी लगती है।।
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जब धीरे धीरे हसती हो,
बिल्कुल बारिश जैसी लगती हो,
थोड़ी बहुत दिल की कहती हो,
बहुत कुछ दिल में भर के रखती हो,
करने दो उन्हें साज़ ओ श्रृंगार,
तुम तो सादा भी जचती हो,
क्यों जाऊ में रंगरेज़ के पास,
तुम तो सियाह में भी जचती हो..
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मैं तुम्हारे ही दम से ज़िंदा हूँ
मर ही जाऊं जो तुम से फुर्सत हो।।
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प्यास कहती है चलो रेत निचोड़ी जाए
अपने हिस्से में समुंदर नहीं आने वाला।।
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हम ज़रा क्या ख़फ़ा हो गए
आप तो बेवफ़ा हो गए
जान थे आप मेरे कभी
जान, लेकिन जुदा हो गए
चाहते थे मुझे और अब
जाने किस पर फ़िदा हो गए”
“अब नहीं है हम चिरागों के मोहताज,
उसकी आँखें महफिले रोशन करती हैं,
मै किताबें फिर से अलमारी मे रख आया हूँ
सुना है वह बा कमाल इन्सान पढ़ती है
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Parizaad Drama Shayari
वो राज की तरहा मेरी बातों मे था
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था
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मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिखदूं
मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू
दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे
खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दू
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खड़ा बुलंदी पे खुदा लाख शुक्र करू
आमाल खास नहीं तो आखिरत कि फ़िक्र करू
उसको शायद पसंद है मेरा टूटना
मुसीबत भेजता है, ताकि उसका जिक्र करू
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कुछ रास्ता लिख देगा
कुछ मै लिख दूंगा
वो लिखते जाए मुश्किल
मै मंज़िल लिख दूंगा
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मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा