ए हुस्न ज़रा सुन, तू यूँ ना इतरा के चल..
मेरे महबूब की गली में, सर झुका के चल..
Tag: हुस्न हिंदी शायरी संग्रह
हुस्न शायरी – हुस्न देखा जो बुतों का
हुस्न देखा जो बुतों का तो ख़ुदा याद आया
राह काबे की मिली है मुझे बुत-ख़ाने से
हुस्न शायरी – आँखें मरहबा बातें मरहबा मैं सौ
आँखें मरहबा बातें मरहबा
मैं सौ मर्तबा दीवाना हुआ
मेरा ना रहा जब से दिल मेरा
तेरे हुस्न का निशाना हुआ
हुस्न शायरी – हुस्न वालों ने क्या कभी
हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ?
ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं
हुस्न शायरी – कोई तलबगार हुस्न का है,
कोई तलबगार हुस्न का है, कोई पुजारी हवस का.
इश्क बदनाम हो गया इन्सान के हाथो में आकर..