वो आरिफ़ान-ए-सबक़ कहाँ अब जो दिल बढ़ाएँ
मैं सच लिखूँ हर्फ़ की दुआ लूँ यही बहुत है
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हर्फ़ शायरी – हर्फ़ हर्फ़ मोहब्बत लिखी, इश्क़
हर्फ़ हर्फ़ मोहब्बत लिखी, इश्क़ की किताब में
पन्ने दर पन्ने कहानी लिखी, मेहबूब की याद में
हर्फ़ शायरी – हर एक हर्फ़-ए-आरजू को दास्ताँ
हर एक हर्फ़-ए-आरजू को दास्ताँ किये हुए
जमाना हो गया है उनको महमाँ किये हुए