हर्फ़ शायरी – वो आरिफ़ान-ए-सबक़ कहाँ अब जो

वो आरिफ़ान-ए-सबक़ कहाँ अब जो दिल बढ़ाएँ
मैं सच लिखूँ हर्फ़ की दुआ लूँ यही बहुत है