हक़ीक़त शायरी – हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे

हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँ
तेरे हर दर्द को और आह को मै अपना कहूँ
सब कुछ क़ुर्बान है तेरे ऐतबार पर
कौन है तेरे सिवा जिसे मै अपना कहूँ