हक़ीक़त शायरी – पर्दे में छुपे चेहरे को

पर्दे में छुपे चेहरे को पहचान गए हैं
अब उनकी हक़ीक़त को भी हम जान गए हैं

हक़ीक़त शायरी – हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे

हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँ
तेरे हर दर्द को और आह को मै अपना कहूँ
सब कुछ क़ुर्बान है तेरे ऐतबार पर
कौन है तेरे सिवा जिसे मै अपना कहूँ

हक़ीक़त शायरी – ये तेरा खेल ना बन

ये तेरा खेल ना बन जाए हक़ीक़त एक दिन,
रेत पे लिख के मेरा नाम मिटाया ना करो