सहर शायरी – कैसे होती है शब की

कैसे होती है शब की सहर देखते
काश हम भी कभी जाग कर देखते

सहर शायरी – आज भी मैं तेरा इंतजार

आज भी मैं तेरा इंतजार करता हूँ
शामों-सहर खुद को बेकरार करता हूँ
जी रहा हूँ तन्हा ख्यालों में तेरे
शायद मैं अब भी तुमसे प्यार करता हूँ

सहर शायरी – अब आ गई है सहर

अब आ गई है सहर अपना घर सँभालने को
चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ

सहर शायरी – छुपा लो दर्द ए दिल

छुपा लो दर्द ए दिल कि सहर होने को है
सजा लो लबों पे मस्सर्रत कि सहर होने को है