कैसे होती है शब की सहर देखते
काश हम भी कभी जाग कर देखते
Tag: सहर प्रसिद्द शायरी
सहर शायरी – बीते हुए कुछ दिन ऐसे
बीते हुए कुछ दिन ऐसे हैं
तन्हाई जिन्हें दोहराती है
रो-रो के गुजरती हैं रातें
आंखों में सहर हो जाती है
सहर शायरी – आज भी मैं तेरा इंतजार
आज भी मैं तेरा इंतजार करता हूँ
शामों-सहर खुद को बेकरार करता हूँ
जी रहा हूँ तन्हा ख्यालों में तेरे
शायद मैं अब भी तुमसे प्यार करता हूँ
सहर शायरी – अब आ गई है सहर
अब आ गई है सहर अपना घर सँभालने को
चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ
सहर शायरी – सूरज चढ़ा तो फिर भी
सूरज चढ़ा तो फिर भी वही लोग ज़द में थे
शब भर जो इंतिज़ार-ए-सहर देखते रहे
सहर शायरी – कभी सहर तो कभी शाम
कभी सहर तो कभी शाम ले गया मुझ से
तुम्हारा दर्द कई काम ले गया मुझ से
सहर शायरी – रात दिल को था सहर
रात दिल को था सहर का इंतिज़ार
अब ये ग़म है क्यूँ सवेरा हो गया
सहर शायरी – छुपा लो दर्द ए दिल
छुपा लो दर्द ए दिल कि सहर होने को है
सजा लो लबों पे मस्सर्रत कि सहर होने को है