सफ़र शायरी – अजब पहेलियाँ हैं हाथों की

अजब पहेलियाँ हैं हाथों की लकीरों की…
सफ़र ही सफ़र लिखा है बिना हमसफ़र के…

सफ़र शायरी – जो मेरे बस में है

जो मेरे बस में है उस से ज़ियादा क्या करना
सफ़र तो करना है उस का इरादा क्या करना