शफ़क़ रंग, ख़ुशबू, ख़्वाब था मैं भी
मां हाथ में, जैसे गुलाब था मैं भी
Tag: शफ़क़ हिंदी शायरी संग्रह
शफ़क़ शायरी – पूछ लो बेशक परिन्दों की
पूछ लो बेशक परिन्दों की हसीं चेहकार से
तुम शफ़क़ की झील हो और शाम का मंज़र हूँ मैं
शफ़क़ शायरी – कुछ देर शफ़क़ फूलती है
कुछ देर शफ़क़ फूलती है जैसे उफ़ुक़ पर
ऐसे ही मिरा हाल संभलता है सर-ए-शाम