वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में
Tag: वस्ल hindi shayari
वस्ल शायरी – कहाँ हम कहाँ वस्ल-ए-जानाँ की
कहाँ हम कहाँ वस्ल-ए-जानाँ की ‘हसरत’
बहुत है उन्हें इक नज़र देख लेना
वस्ल शायरी – उस की सूरत सियाह ज़ुल्फ़ों
उस की सूरत सियाह ज़ुल्फ़ों में,,
धुप छाओं का वस्ल हो जैसे..
वस्ल शायरी – अब हम भी अख्तरशुमारी करते
अब हम भी अख्तरशुमारी करते हैं
तेरे बिन ही तेरे वस्ल के ख्वाबों से यारी करते हैं…
वस्ल शायरी – न कुर्बतों में सुकून है न फासलों
न कुर्बतों में
सुकून है
न फासलों में करार है
ना वस्ल में मज़ा है
न हिज़्र में
वो सज़ा है
मैं कहूँ जान की आफत
तुम कहते हो कि प्यार है