कैसे क़िस्से थे कि छिड़ जाएँ तो उड़ जाती थी नींद
क्या ख़बर थी वो भी हर्फ़-ए-मुख़्तसर हो जाएँगे
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मुख़्तसर शायरी – मिलेगा क्या दिलों में नफरतें
मिलेगा क्या दिलों में नफरतें रखकर ?
बड़ी मुख़्तसर-सी है ज़िन्दगी,
क्यों ना मुस्कुराकर मिला करें..
मुख़्तसर शायरी – ख़्वाब आँखों से ज़बाँ से
ख़्वाब आँखों से ज़बाँ से हर कहानी ले गया
मुख़्तसर ये है वो मेरी ज़िंदगानी ले गया
मुख़्तसर शायरी – वो एक लम्हा जिसे तुम
वो एक लम्हा जिसे तुम ने मुख़्तसर जाना
हम ऐसे लम्हे में इक दास्ताँ बनाते हैं