मग़रूर शायरी – ये हुस्न-ए-नुमाइश है फ़क़त चंद

ये हुस्न-ए-नुमाइश है फ़क़त चंद घड़ी की
किस वास्ते ए दोस्त तू मग़रूर हुआ है

मग़रूर शायरी – है मेरे हाथ में जब

है मेरे हाथ में जब हाथ तेरा
अजब क्या है जो मैं मग़रूर हो जाऊँ

मग़रूर शायरी – दिलक़श हैं मेरे जज़्बे,और मग़रूर

दिलक़श हैं मेरे जज़्बे,और मग़रूर उनकी अदायें,
कोई इतना बता दे हमें हम मुहब्बत कैसे निभायें…