ये किसने निगाहों से सागर पिलाये,
ख़ुदी पर मेरी बेखुदी बन के छाये,
ख़बरदार एै दिल मक़ाम -ए -अदब है,
कहीं बादानोशी पे धब्बा न आये
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मक़ाम शायरी – बुत-ख़ाना तोड़ डालिए, मस्जिद को
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए, ये ख़ुदा का मक़ाम है
मक़ाम शायरी – दिल की हर धड़कन से
दिल की हर धड़कन से जुड़ गया है तेरा ही नाम,
तुम्हारा प्यार ही बन गया है हमारा आखरी मक़ाम…
मक़ाम शायरी – मक़ाम ऐ मुहब्बत किसी ने
मक़ाम ऐ मुहब्बत किसी ने समझा ही नही यारा
जहाँ तक यार का साथ हो… वहां तक ज़िन्दगी है…