मक़ाम शायरी – ये किसने निगाहों से सागर

ये किसने निगाहों से सागर पिलाये,
ख़ुदी पर मेरी बेखुदी बन के छाये,
ख़बरदार एै दिल मक़ाम -ए -अदब है,
कहीं बादानोशी पे धब्बा न आये

मक़ाम शायरी – मक़ाम ऐ मुहब्बत किसी ने

मक़ाम ऐ मुहब्बत किसी ने समझा ही नही यारा
जहाँ तक यार का साथ हो… वहां तक ज़िन्दगी है…