इम्तिहाँ शायरी – राह में उस की चलें

राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो
कैसे मुमकिन है के आतिश हो धुआँ कोई न हो

इम्तिहाँ शायरी – खुदाया इश्क में अच्छी ये

खुदाया इश्क में अच्छी ये शर्ते-इम्तिहाँ रख दी…
लगा कर मुहरे ख़ामोशी मेरे मुँह में ज़ुबाँ रख दी…