बाग़बाँ तू ही बता, किसने इसे फूँक दिया
आशियाँ मैंने बनाया था, बड़ी मेहनत से I
Tag: बाग़बाँ हिंदी शेर ओ शायरी
बाग़बाँ शायरी – जो अपने पेड़ जलते छोड़
जो अपने पेड़ जलते छोड़ जाएँ
उन्हें क्या हक़ कि रूठें बाग़बाँ से
बाग़बाँ शायरी – हर इक ग़ुँचा है मुरझाया
हर इक ग़ुँचा है मुरझाया हुआ सा,
चमन में बाग़बाँ कोई नहीं है
बाग़बाँ शायरी – न ग़ुल अपना, न खार
न ग़ुल अपना, न खार अपना
न ज़ालिम बाग़बाँ अपना
बनाया, आह…
किस गुलशन में आशियाँ अपना
बाग़बाँ शायरी – यूँ बाग़बाँ ने मोहर लगा
यूँ बाग़बाँ ने मोहर लगा दी ज़बान पर
रूदाद-ए-ग़म नसीब के मारे न कह सके
बाग़बाँ शायरी – जब बहारें बेवफ़ा निकलें तो
जब बहारें बेवफ़ा निकलें तो किस उम्मीद पर
इंतिज़ार-ए-गुल की हसरत बाग़बाँ ले कर चले
बाग़बाँ शायरी – बाग़बाँ होश कि बरहम है
बाग़बाँ होश कि बरहम है मिज़ाजे-गुलशन
हर कली हाथ में तलवार लिए फिरती है