फ़ुर्क़त शायरी – तुझ से क्या सुब्ह तलक

तुझ से क्या सुब्ह तलक साथ निभेगा ऐ उम्र
शब-ए-फ़ुर्क़त की जो घड़ियों का गुज़रना है यही