फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
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फ़ासला शायरी – मेरे होने से ग़र इतनी
मेरे होने से ग़र इतनी तकलीफ़ है तुमको,
तो अब से ये होगा कि कुछ फ़ासला रखेंगे
फ़ासला शायरी – तेरे हाथ से मेरे हाथ
तेरे हाथ से मेरे हाथ तक, वो जो हाथ भर का था फ़ासला
उसे नापते, उसे काटते मेरी सारी उमर गुज़र गयी
फ़ासला शायरी – मुनासिब फ़ासला रखिये भले कैसा
मुनासिब फ़ासला रखिये भले कैसा ही रिश्ता हो
बहुत नज़दीकियों में भी घुटन महसूस होती है