फ़ासला शायरी – फ़ासला नज़रों का धोका भी

फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो

फ़ासला शायरी – मुनासिब फ़ासला रखिये भले कैसा

मुनासिब फ़ासला रखिये भले कैसा ही रिश्ता हो
बहुत नज़दीकियों में भी घुटन महसूस होती है