वह मिले भी तोह फ़क़त खुदा के दरबार में,
अब तुम ही बताओ इबादत करते या मोहब्बत
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फ़क़त शायरी – जिनके चेहरे पे अयाँ ख़ामियाँ
जिनके चेहरे पे अयाँ ख़ामियाँ ज़माने की
मुहिम है उनकी फ़क़त आईना दिखाने की
फ़क़त शायरी – दिल सभी कुछ ज़बान पर
दिल सभी कुछ ज़बान पर लाया
इक फ़क़त अर्ज़-ए-मुद्दआ के सिवा
फ़क़त शायरी – ये महल ये माल ओ
ये महल ये माल ओ दौलत सब यहीं रह जाएँगे
हाथ आएगी फ़क़त दो गज़ ज़मीं मरने के बाद
फ़क़त शायरी – तुमसे नहीं तेरे अंदर बैठे
तुमसे नहीं तेरे अंदर बैठे खुदा से मोहब्बत है मुझे…
तू तो फ़क़त एक ज़रिया है मेरी इबादत का…
फ़क़त शायरी – वक़्त सही है, पर मैं
वक़्त सही है, पर मैं ग़लत हूँ,
ग़लतियों का पुतला, फ़क़त हूँ
फ़क़त शायरी – ज़ीस्त की राह में जितने
ज़ीस्त की राह में जितने मुझे गुलज़ार मिले
उन में देखा तो फ़क़त धूल मिली ख़ार मिले