नशेमन शायरी – तेरे दर के बाहर भी

तेरे दर के बाहर भी दुनिया पड़ी है
कहीं जा रहेंगे ठिकाने बहुत हैं
मेरा एक नशेमन जला भी तो क्या है
चमन में अभी आशियाने बहुत हैं

नशेमन शायरी – कभी ग़म की आँधी जिन्हें

कभी ग़म की आँधी जिन्हें छू न पाए
वफ़ाओं के हम वो नशेमन बना दें