तेरे दर के बाहर भी दुनिया पड़ी है
कहीं जा रहेंगे ठिकाने बहुत हैं
मेरा एक नशेमन जला भी तो क्या है
चमन में अभी आशियाने बहुत हैं
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नशेमन शायरी – सैद की बेबसी देख सय्याद
सैद की बेबसी देख सय्याद भी उदास है
नशेमन की बर्बादी से कहाँ कोई आबाद है
नशेमन शायरी – सब बांध चुके कब के
सब बांध चुके कब के सरे -शाख़ नशेमन,
हम हैं कि गुलिसताँ की हवा देख रहे हैं…
नशेमन शायरी – कभी ग़म की आँधी जिन्हें
कभी ग़म की आँधी जिन्हें छू न पाए
वफ़ाओं के हम वो नशेमन बना दें