दास्ताँ शायरी – वो नहीं आते पर निशानी

वो नहीं आते पर निशानी भेज देते है
ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देते है
कितने मीठे है उनकी यादो के मंज़र
कभी कभी आँखों में पानी भेज देते है