बेवफ़ा मैं था वक़्त था या मुक़द्दर था,
बात जो भी थी अंजाम जुदाई निकला
Tag: दर्द भरी शेर ओ शायरी
मुहब्बत शायरी – फिर कभी नहीं हो सकती
फिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत …
वो शक्स भी एक था और मेरा दिल भी एक…
दरमियाँ शायरी – दरमियाँ फासलों की उठती दीवार
दरमियाँ फासलों की उठती दीवार थी
और मेरे दिल की बनती मज़ार थी
फ़क्त मैं ही नहीं था कल बेचैन बहुत
कल तो शब भी बहुत बेक़रार थी
दास्ताँ शायरी – थे वो भी दिन कि
थे वो भी दिन कि मुझे चाहता था दिल से वह
मगर यह बात हुई अब दास्ताँ की तरह
बेदर्द शायरी – इतना दर्द न दे मुझे,
इतना दर्द न दे मुझे, बेदर्द न हो जाऊ
तेरी हर खबर,फिर बेखबर न हो जाऊ
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने मे
फिर कैसे टूट के अब मै बेफिक्र हो जाऊ
गुफ़्तुगू शायरी – ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू
ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई
शाद शायरी – तुम गै़र के घर बैठ
तुम गै़र के घर बैठ के दिल शाद करोगे
हम कौन है हमें क्यों याद करोगे
मुंतज़िर शायरी – मुंतज़िर जिनके हम रहे उनको, मिल
मुंतज़िर जिनके हम रहे उनको,
मिल गए और हमसफ़र शायद
लिबास शायरी – आज अभी उनकी नज़र में
आज अभी उनकी नज़र में राज़ वही था,
चेहरा वही था चेहरे का लिबास वही था,
कैसे उन्हें बेवफा कह दूं
आज भी उनके देखने का अंदाज़ वही था
नशेमन शायरी – तेरे दर के बाहर भी
तेरे दर के बाहर भी दुनिया पड़ी है
कहीं जा रहेंगे ठिकाने बहुत हैं
मेरा एक नशेमन जला भी तो क्या है
चमन में अभी आशियाने बहुत हैं