जुदाई शायरी – बेवफ़ा मैं था वक़्त था

बेवफ़ा मैं था वक़्त था या मुक़द्दर था,
बात जो भी थी अंजाम जुदाई निकला

दरमियाँ शायरी – दरमियाँ फासलों की उठती दीवार

दरमियाँ फासलों की उठती दीवार थी
और मेरे दिल की बनती मज़ार थी

फ़क्त मैं ही नहीं था कल बेचैन बहुत
कल तो शब भी बहुत बेक़रार थी

दास्ताँ शायरी – थे वो भी दिन कि

थे वो भी दिन कि मुझे चाहता था दिल से वह
मगर यह बात हुई अब दास्ताँ की तरह

बेदर्द शायरी – इतना दर्द न दे मुझे,

इतना दर्द न दे मुझे, बेदर्द न हो जाऊ
तेरी हर खबर,फिर बेखबर न हो जाऊ
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने मे
फिर कैसे टूट के अब मै बेफिक्र हो जाऊ

मुंतज़िर शायरी – मुंतज़िर जिनके हम रहे उनको, मिल

मुंतज़िर जिनके हम रहे उनको,
मिल गए और हमसफ़र शायद