दरीचे शायरी – सवाल ऐ वस्ल है तू

सवाल ऐ वस्ल है तू दिल के दरीचे खोल दे
शब ऐ इंतजार है मेरा इश्क मुकम्मल करदे

दरीचे शायरी – न जाने कितने ज़ख़्मों के

न जाने कितने ज़ख़्मों के दरीचे खोल देता हैं…
टपकता हैं जो आँखों से लहू सब बोल देता हैं…