ताबीर शायरी – सदा-ए-गुम्बद-ए-ताबीर सुन रहा हूँ मैं, फ़ज़ा-ए-ख़्वाब

सदा-ए-गुम्बद-ए-ताबीर सुन रहा हूँ मैं,
फ़ज़ा-ए-ख़्वाब में किरनों का जाल रौशन है

ताबीर शायरी – ताबीर जो मिल जाये तो

ताबीर जो मिल जाये तो एक ख़्वाब बहोत था
जो शख़्स गवाँ बैठा हूँ नायब बहोत था