तमाशा शायरी – पहले भी रहा,और ये कुछ

पहले भी रहा,और ये कुछ तुझ्से मिला है
सरमाया-ए-ग़म तेरी मुहब्बत का सिला है
हो दिल जो परेशाँ, यहाँ होता है तमाशा
मिल जाए अगर चैन तो काहे का गिला है