तक़दीर शायरी – मुसाफ़िर हूँ दोस्तों मलाल तो

मुसाफ़िर हूँ दोस्तों
मलाल तो होगा
आज रुठी है तक़दीर तो क्या
कल तक़दीर को हम पे भी नाज होगा

तक़दीर शायरी – फर्क होता है खुदा और

फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में
फर्क होता है किस्मत और लकीर में,
कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना
कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में