बेवफ़ा मैं था वक़्त था या मुक़द्दर था,
बात जो भी थी अंजाम जुदाई निकला
Tag: जुदाई hindi shayari
जुदाई शायरी – ना शौक दीदार का, ना
ना शौक दीदार का,
ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैं वो लोग …
जो मोहब्बत नहीँ करते…
जुदाई शायरी – दिल को धड़कने भी अब
दिल को धड़कने भी अब पहले सी धड़कती नहीं
साँसे भी अब तेरी जुदाई बर्दाश्त कर सकती नहीं
जुदाई शायरी – तेरी हर अदा महोबत सी
तेरी हर अदा महोबत सी लगती है,
एक पल जुदाई भी मुदत सी लगती है,
पहले नही अब सोचने लगे है हम,
की हर लम्हा तेरी ज़रूरत सी लगती है,
जुदाई शायरी – ना मेरी नीयत बुरी थी…
ना मेरी नीयत बुरी थी… ना उसमे कोई बुराई थी…
सब मुक़द्दर का खेल था… बस किस्मत में जुदाई थी…
जुदाई शायरी – ये अकेलेपन का अहसास इस
ये अकेलेपन का अहसास इस कदर दर्द भरा सा है
तन्हाई है, जुदाई है, अश्क है, सब्र अब जुदा सा है…
जुदाई शायरी – जुदाई हल नही मसलो का, समझते
जुदाई हल नही मसलो का,
समझते क्यों नही हो बात मेरी
जुदाई शायरी – ये मुहब्बत का फलसफा भी
ये मुहब्बत का फलसफा भी गजब का रूमानी है
दर्द है इबादत है जुदाई है फिर भी कितनी दीवानगी है
जुदाई शायरी – इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की