जानाँ शायरी – सब कुछ बदल गया है

सब कुछ बदल गया है मगर लोग हैं ब-ज़िद,
महताब ही में सूरते-जानाँ दिखाई जाए

जानाँ शायरी – पैहम तवाफ़-ए-कूचा-ए-जानाँ के दिन गए पैरों

पैहम तवाफ़-ए-कूचा-ए-जानाँ के दिन गए
पैरों में चलने फिरने की ताक़त नहीं रही

जानाँ शायरी – कुछ और भी हैं काम

कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ
कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे..