बेदर्द शायरी – दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने

दर्द लाख सही बेदर्द ज़माने में
मगर जाता भी क्या है मुस्कुराने में…

बेदर्द शायरी – इतना दर्द न दे मुझे,

इतना दर्द न दे मुझे, बेदर्द न हो जाऊ
तेरी हर खबर,फिर बेखबर न हो जाऊ
उम्र ही गुज़र जाती है एतबार करने मे
फिर कैसे टूट के अब मै बेफिक्र हो जाऊ

बेदर्द शायरी – ऐ बेदर्द… सब आ जातें

ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…
अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.

बेदर्द शायरी – अब कोई दर्द…दर्द नहीं लगता, एक

अब कोई दर्द…दर्द नहीं लगता,
एक बेदर्द…ने कमाल कर दिया