कुछ दरमियाँ नहीं गर तेरे-मेरे, बेचैनियाँ क्यों हैं…
लौट आओ, कुछ रिश्ते बेरुखी से भी नहीं टूटा करते
Tag: चुनिंदा बेचैनियाँ शायरी इन हिंदी
बेचैनियाँ शायरी – मेरी ये बेचैनियाँ… और उन
मेरी ये बेचैनियाँ… और उन का कहना नाज़ से,
हँस के तुम से बोल तो लेते हैं और हम क्या करें
बेचैनियाँ शायरी – बेचैन उमंगों को बहला के
बेचैन उमंगों को बहला के चले जाना,
हम तुमको न रोकेंगे बस आ के चले जाना.
बेचैनियाँ शायरी – बेचैन हूँ बहुत मगर पैग़ाम
बेचैन हूँ बहुत मगर पैग़ाम किसको दूँ,
जो खुद न समझ पाया वो इल्ज़ाम किसको दूँ
बेचैनियाँ शायरी – बड़े सलीक़े से छुपाई उसने
बड़े सलीक़े से छुपाई उसने अपनी बेचैनी
हमे भूल जाने का अन्दाज़ हमें अच्छा लगा