बर्क़ शायरी – बर्क़ के लैम्प से आँखों

बर्क़ के लैम्प से आँखों को बचाए अल्लाह
रौशनी आती है, और नूर चला जाता है

बर्क़ शायरी – नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़ तू वो नहीं

नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़
तू वो नहीं कि तुझ को तमाशा करे कोई