बर्क़ के लैम्प से आँखों को बचाए अल्लाह
रौशनी आती है, और नूर चला जाता है
Tag: चुनिंदा बर्क़ शायरी इन हिंदी
बर्क़ शायरी – हमीं पे बर्क़ गिरे और
हमीं पे बर्क़ गिरे और हमारा घर भी जले,
हमीं फ़िजा भी गुलिस्तां की साज़गार करें
बर्क़ शायरी – बर्क़ ने मुझ को कर
बर्क़ ने मुझ को कर दिया रौशन
तेरा अक्स-ए-जलाल था क्या था
बर्क़ शायरी – नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़ तू वो नहीं
नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़
तू वो नहीं कि तुझ को तमाशा करे कोई
बर्क़ शायरी – एक बर्क़ सी छू गई
एक बर्क़ सी छू गई थी बदन को मेरे
जैसे तेरे होंठों ने मेरी तस्वीर को चूमा होगा.
बर्क़ शायरी – शाम में अंजुमन रोशन बेवजह
शाम में अंजुमन रोशन बेवजह नही है,
कमाल ये तेरे बर्क़-जमाल का ही है..