जल्वागरी शायरी – जल्वा-गर बज़्म-ए-हसीनाँ में हैं वो

जल्वा-गर बज़्म-ए-हसीनाँ में हैं वो इस शान से
चाँद जैसे ऐ ‘क़मर’ तारों भरी महफ़िल में है

जल्वागरी शायरी – तू जल्वागर है मगर ये

तू जल्वागर है मगर ये सुन ले कि आँख ओझल पहाड़ ओझल
अगर यही शोख़ियाँ है तेरी तो फिर किसे एतबार होगा

जल्वागरी शायरी – अपने इस जल्वा-गर तसव्वुर की जाँ-फ़ज़ा

अपने इस जल्वा-गर तसव्वुर की
जाँ-फ़ज़ा दिलकशी से ज़िंदा हूँ