गुफ़्तुगू शायरी – ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू

ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई

गुफ़्तुगू शायरी – जो भी चाहो निकाल लो

जो भी चाहो निकाल लो मतलब
ख़ामुशी गुफ़्तुगू पे भारी है

गुफ़्तुगू शायरी – सीरत से गुफ़्तुगू है क्या

सीरत से गुफ़्तुगू है क्या मो’तबर है सूरत
है एक सूखी लकड़ी जो बू न हो अगर में