ज़िंदगी भर तो हुई गुफ़्तुगू ग़ैरों से मगर
आज तक हम से हमारी न मुलाक़ात हुई
Tag: चुनिंदा गुफ़्तुगू शायरी इन हिंदी
गुफ़्तुगू शायरी – हर एक बात पे कहते
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है
गुफ़्तुगू शायरी – गुफ़्तुगू के ख़त्म हो जाने
गुफ़्तुगू के ख़त्म हो जाने पर आया ये ख़याल…
जो ज़बाँ तक आ नहीं पाया वही तो दिल में था…
गुफ़्तुगू शायरी – जो भी चाहो निकाल लो
जो भी चाहो निकाल लो मतलब
ख़ामुशी गुफ़्तुगू पे भारी है
गुफ़्तुगू शायरी – क़ासिद की गुफ़्तुगू से तसल्ली
क़ासिद की गुफ़्तुगू से तसल्ली हो किस तरह
छुपती नहीं वो बात जो तेरी ज़बाँ की है
गुफ़्तुगू शायरी – गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती
गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता
गुफ़्तुगू शायरी – मुझे गुफ़्तुगू से बढ़ कर
मुझे गुफ़्तुगू से बढ़ कर ग़म-ए-इज़्न-ए-गुफ़्तुगू है,
वही बात पूछते हैं जो न कह सकूँ दोबारा
गुफ़्तुगू शायरी – सीरत से गुफ़्तुगू है क्या
सीरत से गुफ़्तुगू है क्या मो’तबर है सूरत
है एक सूखी लकड़ी जो बू न हो अगर में
गुफ़्तुगू शायरी – ये शहर अपनी इसी हाव-हू
ये शहर अपनी इसी हाव-हू से ज़िंदा है
तुम्हारी और मिरी गुफ़्तुगू से ज़िंदा है
गुफ़्तुगू शायरी – हर्फ़ो-लब से होता है कब
हर्फ़ो-लब से होता है कब अदा हर इक मफ़्हूम
बेज़बान आँखों की गुफ़्तुगू भी समझा कर