ख़ुदा शायरी – ख़ुदा से कुछ मैं मांगू

ख़ुदा से कुछ मैं मांगू मुझे ऐसी ख़्वाहिश नही,
ख़ुदा की मुझसे अब होगी आज़माइश नही..

ख़ुदा शायरी – फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं अपना

फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं अपना अंदाज़ औरों से जुदा रखता हूँ
लोग मंदिर मस्जिदों में जाते हैं मैं अपने दिल में ख़ुदा रखता हूँ

ख़ुदा शायरी – सुरमे का तिल बना के

सुरमे का तिल बना के रुख़-ए-ला-जवाब में,
नुक़्ता बढ़ा रहे हो ख़ुदा की किताब में

ख़ुदा शायरी – मेरी बंदगी में ही कुछ

मेरी बंदगी में ही कुछ कमी है ए ख़ुदा,
वरना तेरा दर तो रहमतो का खजाना है…

ख़ुदा शायरी – वो दिल ही क्या तेरे

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे