जूनून-ए-तूफाँ जो आते हैं तो ऐसे ही नहीं
कोई दीवाना ‘जाँ-गुलिस’ से ख़ाकसार होगा
Tag: चुनिंदा ख़ाकसार शायरी इन हिंदी
ख़ाकसार शायरी – ख़ाकसारों को ख़ाक ही क़ाफी.. रास
ख़ाकसारों को ख़ाक ही क़ाफी..
रास मुझको है ख़ामोशी मेरी.
ख़ाकसार शायरी – लोग बनते हैं होशियार बहुत वर्ना
लोग बनते हैं होशियार बहुत
वर्ना हम भी थे ख़ाकसार बहुत
ख़ाकसार शायरी – अब ज़िन्दगी तेरा भी एहसान
अब ज़िन्दगी तेरा भी एहसान क्यों रह जाये
तू भी ले जा इस ख़ाकसार से हिस्सा अपना ||
ख़ाकसार शायरी – बैठा है जिस डाली पर
बैठा है जिस डाली पर उसी को जार जार करे
अज़ब शौक़ है उस चिराग का कि खुद के ही घर को ख़ाकसार करे
ख़ाकसार शायरी – है इत्तिफ़ाक़ कि इंसान निकले
है इत्तिफ़ाक़ कि इंसान निकले दोनों ही
हुज़ूर-ए-वाला बहुत, ख़ाकसार कम से कम
ख़ाकसार शायरी – सरासर सार बस यही था
सरासर सार बस यही था कि
उसके रुख़्सार को देखकर हम ख़ाकसार हो गये
ख़ाकसार शायरी – हर उलझन ख़ाकसार हो गयी… प्यार
हर उलझन ख़ाकसार हो गयी…
प्यार की इक बूँद से बहार हो गयी…